भारतीय
संस्कृति में त्यौहारों
का विशेष
महत्व है. अगर हम भारत को त्यौहारों की अद्भुत संस्कृति
के महाकुंभ
की संपन्न
विशाल नगरी कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. पर्व हमारे जीवन में नया उत्साह संचार
करने के महत्वपूर्ण कारक होते हैं, जिनकी स्वीकार्यता व महत्ता देश में सर्वव्यापी है. 'तमसो मा ज्योतिर्गमय:' अर्थात
अंधकार से प्रकाश में ले जाने वाला, दीपावली
वही पावन त्यौहार है जो जीवन को सकारात्मक
उर्जा से भर देता है. दिवाली का पर्व उल्लास और जगमगाहट का प्रतीक है, परंतु हिंदी फिल्मों में आम तौर पर इसका अंधेरा पक्ष ही ज्यादा उभारा गया है. दीपावली का पर्व न केवल भारतवर्ष
में बल्कि
पूरे विश्व
में बडे़ उत्साह व् हर्षोल्लास से मनाया जाता है.
भविष्य, स्कंद एवं पद्मपुराण में दीपावली का त्यौहार मनाये जाने की बहुत सी पौराणिक मान्यताएं हैं. त्रेतायुग में भगवान श्री राम जब चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात अयोध्या वापस लौटे, तब उनके स्वागत हेतु दीपमालिकाओं द्वारा मंगलोत्सव मनाया गया था. सम्भवतः भारतवर्ष की यह पहली दिवाली रही होगी. भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का वध चतुर्दशी को किया था, अगले दिन अमावस्या को गोकुलवासियों ने दीप जलाकर खुशियाँ मनाई थीं. एक पौराणिक कथा के अनुसार विष्णु ने नरसिंह रूप धारण कर हिरण्यकश्यप का वध किया था. कुछ लोग दीवाली को विष्णु की वैकुण्ठ में वापसी के दिन के रूप में मानते हैं. इसी दिन भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का स्वामी बनाया था और इन्द्र ने स्वर्ग को सुरक्षित जानकर प्रसन्नतापूर्वक दीपावली मनाई थी.
समुद्र
मंथन के समय क्षीरसागर
से इसी दिन लक्ष्मीजी
प्रकट हुई थीं और भगवान विष्णु
को अपना पति स्वीकार
किया था. वेदों मे लक्ष्मी को ‘लक्ष्यविधि लक्षमिहि’ के नाम से संबोधित किया गया हैं, जिसका शाब्दिक अर्थ है, लक्ष्य प्राप्ति में सहयोग-कर्त्ता. इस दिन लक्ष्मी के पूजन का विशेष विधान
है. रात्रि
के समय धनधान्य की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मीजी, गणेश जी और सरस्वती देवी की पूजा-आराधना की जाती है. ब्रह्मपुराण के अनुसार कार्तिक
अमावस्या की अर्धरात्रि में महालक्ष्मी स्वयं
भूलोक में आती हैं और प्रत्येक
सद्गृहस्थ के घर में विचरण
करती हैं.
गौतम बुद्ध जब 17 वर्ष बाद अनुयायियों के साथ अपने गृहनगर कपिलवस्तु लौटे तो उनके स्वागत में लाखों दीप जलाकर दीपावली मनाई गई थी. सिख धर्म/समुदाय के लिए भी दीवाली का त्यौहार महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि 1577 में इसी दिन अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास रखा गया था. इसके अतिरिक्त 1618 में दीवाली के दिन सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को बादशाह जहाँगीर की कैद से रिहा किया गया था. इसी दिन आर्यसमाज
के संस्थापक
महर्षि दयानंद
सरस्वती जी को निर्वाण
प्राप्त हुआ था. इसी दिन गुप्तवंशीय राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने 'विक्रम संवत' की स्थापना
की थी.
दिवाली और हिन्दी फिल्मों का गहरा सम्बन्ध रहा है. हिंदी सिनेमा के प्रारंभिक दौर में दीपावली का सन्दर्भ जयंत देसाई निर्मित एवं माधुरी, मोती लाल और वासंती अभिनीत फिल्म 'दीवाली(1940) में मिलता है. फ़िल्म किस्मत (1943) का दिवाली गीत ‘घर घर में दिवाली, मेरे घर में अंधेरा..’ हिन्दी सिनेमा का सम्भवतः प्रथम लोकप्रिय दिवाली गीत था. सन 1956 में ‘दिवाली की रात’ और ‘घर-घर में दिवाली’ नाम से दो फिल्में रिलीज़ हुई थी. अमिताभ बच्चन और जया भादुड़ी की फिल्म 'जंजीर' अकेली ऐसी फिल्म है, जो दीवाली के त्यौहार के साथ शुरू और खत्म होती है. वर्ष 2001 में सुपरस्टार अमिताभ बच्चन की कंपनी एबीसीएल ने आमिर खान और रानी मुखर्जी के साथ "हैप्पी दिवाली" बनाने का प्लान बनाया था, लेकिन यह फिल्म बन नही सकी थी.
फिल्म ‘श्री 420’ में दिवाली का रोमांस देखने को मिला, जब राज कपूर नर्गिस को दिवाली की रात मुंबई की चकाचौंध को दिखाने के लिए ले जाता है. चेतन आनंद की फिल्म 'हकीकत' में दिवाली की कालिमा का चित्रण किया गया था. फिल्म 'अनुराग'(1972) के माध्यम से आपसी मेलजोल और विश्वास को प्रदर्शित किया गया था. फिल्म 'चाची 420'(1998) में कमल हसन की बेटी पटाखों से घायल हो जाती है. फिल्म 'मोहब्बतें (2000)' में दीपावली के माध्यम से विभिन्न किरदारों को जोड़ने का प्रयास किया गया था. फिल्म ‘सत्या’ में नायक रोमांस के लिए दिवाली की रात का चयन करता है. फिल्म 'कभी खुशी कभी गम' के टाइटिल ट्रैक में शाहरुख़ खान की एंट्री ऐसे दिखाई गई थी जैसे श्रीराम 14 वर्ष के बनवास के पश्चात दीवाली के दिन अयोध्या लौट रहें हो. फिल्म 'आमदनी अठ्ठनी खर्चा रुपैया' में शीर्षक गीत, मध्यम वर्गीय परिवारों द्वारा दीवाली सेलिब्रेशन का हास्यप्रद चित्रण था.
यद्द्पि पिछले कुछ समय से सिल्वर स्क्रीन पर दीवाली की चकाचौंध भले ही कम दिखाई पडती है, परंतु बॉलीवुड निर्देशकों और अभिनेताओं द्वारा दिपावली के अवसर पर अपनी फिल्मों को रिलीज करने का ट्रेंड बहुत देर से चला आ रहा है. महीनों क्या, साल पहले से डेट्स फाइनल करके डिस्ट्रीब्यूटर्स को दे दी जाती हैं. अगर ईद सलमान खान की होती है तो दीवाली पर धमाके करने के अवसर/राइटस ज्यादातर शाहरुख खान के नाम रिजर्व रहे हैं क्योंकि पिछले दो दशक में दिवाली के अवसर पर सबसे ज्यादा फिल्में बॉलीवुड किंग शाहरूख खान की रिलीज हुई हैं. उनकी दिवाली पर रिलीज हुई फिल्में जैसे बाजीगर, डर, दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे,डॉन 2, दिल तो पागल है, कभी खुशी कभी गम, कुछ कुछ होता है, मोहब्बतें, वीर जारा और जब तक है जान आदि ने बॉक्स ऑफिस पर इतिहास रचा है.
शाहरुख खान के बाद अजय देवगन की फिल्में ही दीवाली रिलीज के लिए आरक्षित रहती थीं लेकिन सन् 2013 में ऋतिक रोशन की फिल्म 'कृष 3' बॉक्स ऑफिस के लिए परफेक्ट दीवाली बोनांजा सिद्ध हुई थी. 2010 में रिलीज हुई फिल्म 'गोलमाल 3' फिल्म 100 करोड़ क्लब में शामिल हुई. 2011 में 'रॉवन' फिल्म ने 114 करोड़ का बिजनेस किया था. यह आवश्यक नहीं कि दिवाली के दौरान प्रदर्शित सभी फ़िल्में हिट रही हों. दीवाना मस्ताना, जीना सिर्फ़ तेरे लिए, पिंजर, जान-ए-मन, साँवरिया, आल द बेस्ट, ब्लू, एक्शन रिप्ले, मैं और मिस्सेस खन्ना कुछ ऐसी फिल्में रही हैं, जो दिवाली पर बड़े भव्यपूर्ण ढंग से रिलीज की गई थी परंतु बॉक्स ऑफिस पर टांय टांय फिस्स साबित हुई हैं.
अजीब विरोधाभास है कि दिवाली को फिल्म के कारोबार के लिए शुभ मानने वाले फिल्म निर्माता फिल्मों में दिवाली पर उल्लास कम और करुणा ज्यादा दिखाते रहे हैं. फ़िल्म हरियाली और रास्ता के गीत ‘लाखों तारे आसमान में, एक मगर ढूंढ़े न मिला..’ में वेदना के स्वर उभरे थे. फिल्म नजराना में एक दिवाली वह थी जब नायक-नायिका में प्रेम विकसित हो रहा था और दूसरी दिवाली जब नायक परिस्थिति वश नायिका की बहन से शादी करता है. ‘इस साल दिवाली कैसे मनाएं (सबसे बड़ा रुपैय्या), आई अब के साल दिवाली (हक़ीक़त) और ‘जलते दीप बुझ गए.. (जलते दीप) जैसे गीतों के माध्यम से दिवाली पर फिल्मी पात्रों का संताप उभरा था.
जब हम हिंदी फिल्मों में दीवाली संबंधी गीतों की बात करें तो सर्वप्रथम फिल्म 'दीवाली’ (1940) में खेमचंद प्रकाश द्वारा संगीतबद्घ 'घर-घर दीप जले...' और 'जले दीप दीवाली आई....’ में सामूहिक उल्लास की प्रचुरता मिलती है. तत्पश्चात अनिल विश्वास द्वारा संगीतबद्ध फिल्म 'किस्मत’(1943) का गीत 'घर-घर में दीवाली है मेरे घर में अंधेरा’सुनाई पड़ा. कवि प्रदीप ने अलग-अलग भावों के 52 अंतरे लिख डाले थे जिन्हें अनिल विश्वास ने तीन प्रकार के भावों से ओत-प्रोत शास्त्रीय रंग में स्थाई, अंतरा, संचारी और आभोग के अनुसार ढालने का सफल प्रयोग किया था. फिल्म 'रतन’(1944) के गीत 'आई दीवाली दीपक संग नाचे पतंगा’में दीवाली के लाक्षणिक भाव की पृष्ठभूमि में नौशाद ने उदास विरह-भाव की रचना की थी. मास्टर गुलाम हैदर ने फिल्म 'खजांची’(1941) के गीत 'दीवाली फिर आ गई सजनी’में पंजाबी उल्लसित टप्पे का पृष्ठभूमि में आकर्षक प्रयोग किया था. फिल्म महाराणा प्रताप(1946) में 'आई दीवाली दीपों वाली’की पारंपरिक धुन सुनने को मिली थी. ‘आयी दीवाली दीप जला जा..’(पगड़ी) गीत में आग्रह का पुट था. वहीं 'शीश महल’(1950) के गीत 'आई है दीवाली सखी आई रे’को वसंत देसाई ने पारंपरिक ढंग से स्वरबद्ध किया था.
'दीवाली की रात पिया घर आने वाले हैं’(कंचन-1955) गाना दीवाली के प्रतीकात्मक मिलन की ओर उन्मुख था. संगीतकार राम गांगुली ने 'दीप जलेंगे दीप दीवाली आई हो’(पैसा-1957) गीत को माधुर्य और बंगाली मिठास के स्पर्श में बहुत आत्मीय बनाया था. 'जहां में आई दीवाली बड़े चराग चले’(ताज-1956) में सितार के अप्रतिम प्रयोग ने चार चांद लगा दिए थे. 'कैसी दीवाली मनाएं हम लाला’यूं दीवाली गीत तो नहीं था लेकिन रूपये पैसे की कमी में जूझते आम आदमी की तस्वीर को उभारने में जॉनी वाकर ने कॉमेडी का खूबसूरत रंग भरा था. 'लाखों तारे आसमान में एक मगर ढूंढ़े न मिला’(हरियाली और रास्ता-1962) के गीत में दीवाली की आतिशबाजी की पृष्ठभूमि के साथ मनोज कुमार और माला सिन्हा के ऊपर एक विपरीत दर्दीले भाव की रचना है. इसी प्रकार शहनाई और बांसुरी के अप्रतिम प्रयोग के साथ फिल्म 'लीडर’(1964) के मशहूर नृत्य गीत 'दैया रे दैया लाज मोहे लागे’का आरंभ भी 'दीवाली आई घर-घर दीप जले’जैसे शब्दों से ही होता है. जुगनू(1973) में भी दीवाली का एक लोकप्रिय गाना 'छोटे नन्हे-मुन्ने प्यारे-प्यारे रे... दीप दीवाली के झूठे....’ था.
बॉलीवुड के सभी छोटे बड़े सितारे दीपावली के पर्व को धूम-धडाके और उत्साह के साथ मनाते हैं. अमिताभ बच्चन के तीनों बंगलों प्रतीक्षा, जलसा और जनक को दुल्हन की तरह बिजली की रोशनी से सजाया जाता है. अमिताभ अपने परिवार के साथ पहले जलसा में, फिर जनक में और अंत में प्रतीक्षा में दिवाली की पूजा करते हैं. पूजा के बाद प्रतीक्षा के आंगन में खूब आतिशबाजी करते हैं. दीवाली के पावन अवसर पर अमिताभ बच्चन ने दीवाली पार्टी का आयोजन किया था, जिसमें खेल जगत से लेकर बॉलीवुड की दिग्गज हस्तियां ट्रेडिशनल आउटफिट में पहुंची थीं. अक्षय कुमार दिवाली पर परिवार के साथ लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं और ढेर सारे पटाखे छुड़ाते हैं. दिवाली की रात शाहरुख खान के बंगले ‘मन्नत’की रौनक देखते ही बनती है. प्रदूषण के डर से दीपिका पादुकोण, पटाखों से परहेज करती हैं. जबकि प्रियंका चोपड़ा सभी त्यौहार भारतीय संस्कृति और परंपरा के अनुसार मनाती हैं. बिपाशा बसु, दीप-पर्व को परंपरागत ढंग से ही मनाने में विश्वास रखती हैं. कंगना राणावत को अपने परिवार के साथ दिवाली मनाना बहुत पसंद है. इस अवसर पर उन्हें रस्म अदायगी हेतु ताश खेलना अच्छा लगता है.
दिवाली माधुरी दीक्षित का पसंदीदा त्यौहार है. वो कहती हैं कि "उसकी हर दिवाली यादगार होती है, लेकिन बचपन में मनाई गई एक दिवाली हमेशा याद आती है. इस दिवाली पर मेरे सारे बाल जल गए थे. हुआ यूं,कि मैं अपनी सहेलियों के साथ पटाखे फोड़ रही थी कि तभी किसी लड़के ने मेरे हाथ में पकड़े हुए पटाखे में आग लगा दी थी. पटाखा जोर से फूटा और मेरे बालों में आग लग गई थी. आग से मेरे ढेर सारे बाल जल गए थे और कुछ समय के लिए मुझे गंजा रहना पड़ा था. गनीमत रही कि उस दिवाली मेरे चेहरे पर कोई आंच नहीं आई, वरना आज मैं हीरोइन नहीं बन पाती'.
फ़िल्म स्टार चाहे परिणीति चोपड़ा हो, बिपाशा बसु हो, रणवीर सिंह हो या रणबीर कपूर सभी को दिवाली पर मिठाईयां खाना अच्छा लगता है. परिणीति दीवाली जैसे त्यौहार पर खुद को मीठा खाने से नहीं रोक पातीं विशेषकर जब सामने बेसन या मोतीचूर के लड्डू हों. रणवीर सिंह कहते हैं कि दीवाली का नाम लेते ही उन्हें अपनी नानी का घर, पठाखे और मिठाईयां याद आती हैं. बिपाशा को सबसे ज्यादा पसंद रसगुल्ले हैं. करण जौहर को वैसे तो सभी मिठाईयां पसंद हैं लेकिन चाकलेट फज उन्हें सबसे ज्यादा पसंद है. रणबीर कपूर को मीठा कितना पसंद है इसका अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी एक फिल्म का नाम ही 'बर्फी' था. वैसे रणबीर को सबसे ज्यादा पसंद मिष्ठी दोई है.
दिपावली के अवसर पर फिल्मों को प्रदर्शित करने
की परम्परा को जारी रखते हुए, अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म 'ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान' वर्ष 2018
में रिलीज़ हुई थी जो बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से पिट गई थी. 2019 की दीपावली के अवसर पर अक्षय कुमार की 'हाउसफुल 4', राजकुमार राव की 'मेड इन चाइना' और तापसी-भूमि स्टारर फिल्म 'साँड़ की आंख' प्रदर्शित हुई हैं. जिनमें 'हाउसफुल 4' ने दो दिन में 51 करोड़ रूपये की कलेक्शन करते हुए टॉप पर बनी हुई है.
दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्त्व है. वेल्लोर (तमिलनाडु) के निकट 1500 किलो सोने से निर्मित विश्व के एक मात्र श्री लक्ष्मी मंदिर (श्रीनारायणी पीडम) में विशेष अर्चना उपासना के लिए लाखों उपासक पहुंचते है. सौ एकड़ में फैले मंदिर परिसर में डेढ़ किलोमीटर श्रीयंत्र-क्षेत्र में 10008 घी के दीये प्रकाशमान किये जाते हैं. इस बार दीपावली की पूर्व संध्या पर सरयू नदी के घाट, 6.11 लाख दीयों से सुसज्जित किये गए थे.
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